चाहतें
चाहतें कई रहीं जिंदगी में
मिला उतना ही
जितना नसीब था
लेकिन नसीब के सहारे
बैठा ही नहीं रहा
लगा रहा जुस्तजू में अपनी
मुकम्मल न हुई चाहतें तो क्या
रंज भी न रहा कुछ किया नहीं मैंने
इन चाहतों को पाने के लिए
चाहतें कई रहीं जिंदगी में
मिला उतना ही
जितना नसीब था
लेकिन नसीब के सहारे
बैठा ही नहीं रहा
लगा रहा जुस्तजू में अपनी
मुकम्मल न हुई चाहतें तो क्या
रंज भी न रहा कुछ किया नहीं मैंने
इन चाहतों को पाने के लिए