गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

एक दिन तो सबको जाना है।
किसको याद फिर आना है।

तुम निगाहों से भले डराओ,
हमने भी क्या तुमसे पाना है।

चले शौक़ से तुम संग कभी,
नामालूम कैसा दोस्ताना है।

कशमकश सी है दरमियाँ भी,
कितना हमें बता आज़माना है।

खलिश सी रह जाएगी ज़िन्दगी,
कौन कहेगा अब हमें सयाना है।

मिल जाएंगे जब माटी में हम,
कर्ज़ ज़िन्दगी जाने चुकाना है।

— कामनी गुप्ता

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |