गीतिका/ग़ज़ल

इक नया सवेरा लाएगा

ढलती रात में धीरज धरो,इक नया सवेरा लाएगा।

बीत जाएगा आज है कल‌ ,अतीत बन के आएगा।

ढलती रात में ख़ामोश ज़िंदगी, सोई इतमीनान से,

उगता सूरज न जाने फिर ,जिंदगी कहाॅं भगाएगा।

है ढलती रात यौवन की बुढ़ापा राह देख रहा तेरी,

जवानी का नज़ारा एक दिन‌ यह सब छूट जाएगा।

ढलती रात कह रही है सोच ले आदमी तुम इतना,

आज है पास जो तेरे फिर कभी नहीं मिल पाएगा।

चांद की चांदनी पल  रात में  आखिर ढल जाएगी,

साथ तेरा  प्यार का उम्र भर  दिल को  तड़पाएगा।

आ के आगोश में बैठो मेरी मैं मुहब्बत का नूर दे दूॅं,

ढलती रात में मिलन , रूहों का फिर न हो पाएगा।

यह ढलती रात तेरे दुखों को ,आंचल में छुपा लेगी,

तेरी खुशियों की जन्नत नया सवेरा तुझे दिलाएगा।

ढलती रात  नहीं होती  तन्हाई की शाम नही होती,

तड़पन‌ दिलके मिलन की तेरी फिर कौन‌ जगाएगा।

— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995