कविता

बारहमासी उत्सव चालीसा 

भारत संस्कृति भूलकर , गाते पश्चिम गान।

बच्चों को समझाइये,अपने उत्सव ज्ञान।।

 *चेत*  महिना पहले आता।

पकती फसलें मन हरषाता।।1

रंग पंचमी शीतल माता।

नव संवत् गुड़ी पड़वा लाता।।2

चैती चांद झूले अवतारी।

राम नवम की शोभा प्यारी।।3

धरम महीना है *बैसाखा।* 

रंग रंगीली तीजा आखा।।4

 *जेठ* मास की गरमी भारी।

बट अमावशी पूजा न्यारी।।5

महेश नवमी खुशियां लाती।

गंगा दशमी जेठ सुहाती।।6

लगत *असाढ़ा* वर्षा आये।

चली हवायें बादल छाये।।7

चले किसाना खेती मीता।

करे बोवनी गाते गीता।।8

 असाढ़ शुक्ला दूज सुहाई।

जगन्नाथ रथ शोभा पाई।।9

 *सावन* अब का देख नजारा।

बरसे पानी बन फव्वारा।।10

हरियाली अमवश्या आई।

धरती माता भी मुस्काई।।11

नाग पंचमी चौदस पूजा।

राखी पूनम बहिने दूजा।।12

 *भादों* आठम कृष्ण कन्हाई।

नवमी गोगा अलख जगाई ।।13

रामदेव की एक हमेशा।

तीज हरीली चौथ गणेशा।।14

ऋषि की पांचम हलछट देवा।

मघा पूरवा उफने रेवा।।15

राथा आठम जनम अमोला।

दशमी तेजा ग्यारस डोला।16

फिर आनंदी चौदस आई।।

वर्षा भी अब भई बुढ़ाई।।17

लगत *क्वार* में श्राद्ध मनाओ।

पुरखों को भी न्योत जिमाओ।18

बेटी सोलह संझा गाती।

लीप दिवालें चित्र बनाती।।19

नव रातों में करे उपासा।

देवी दर्शन जग विश्वासा।।20

विजया दशमी खुशी अनूपा।

जला बुराई रावण रूपा।।21

शरद पूर्णिमा चांद सुहाई।

रास रचाते कृष्ण कंहाई।।22

 *कातिक* मास करें सफाई।

अंधियारे में दीप जलाई।।23

धन तेरस धनवंतर आई।

चौदस रूप सजातीं माईं।।24

अम्मावश की शोभा न्यारी।

पूजे लछमी घर उजियारी।।25

महावीर स्वामी बन आई।

फोड़ फटाखे बांट मिठाई।।26

गाय सजाते एकम आई।

अन्नकूट गोवर्धन भाई।।27

पूज लेखनी भाई दूजा।

देव उठाते ग्यारस पूजा।28

गुरु नानक जी पूनम आये।

बेटी नदियां दीप बहाये।।29

खरीफ फसलें घर में आई।

खेत जोतकर रबी बुवाई।।30

 *अगहन* शुक्ला पांचम भाई।

राम जानकी ब्याह रचाई।।31

पर्वत भी अब बर्फ जमाते।

हिम तीरथ राही रुक जाते।32

 *पौष महिना* संक्रांति आई।

तिल्ली गुड़ से बने मिठाई।।33

उड़े पतंगें उर हरषाता।

गुल्ली डंडा भी मनभाता।।34

 *माघ महीना* ओढ़ रजाई।

ठंडी रातें शीत कंपाई।।35

माघी शुक्ला पांचम आती।

बासंती पूजा कहलाती।।36

 *फागुन* फिर फर्राटे खाता।

तेरस कृष्णा शिव की राता।।37

मैं भी मस्ती भर के गाता। 

होली उत्सव रंग जमाता।38

जली होलिका बच प्रहलादा।

छोड़ बुराई रख मरयादा।।39

बारह मासी हमने गाई।

पूरे साल रहो हरषाई।।40

यह चालीसा जो पढ़े,थोड़े उत्सव जान।

हिन्दी तिथियां सीखिये, कहत हैं कवि मसान।।

— डॉ दशरथ मसानिया

डॉ. दशरथ कुमार गवली 'मसानिया'

व्याख्याता (संस्कृत) *संस्था* :शा.उत्कृष्टउ.मा.वि आगर, जि. आगर-मालवा *शिक्षा :* एम.ए.(संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी), पीएच.डी. *व्या.शिक्षा* बी.एड.,अनुस्थापन पाठ्य.सीसीआरटी, दिल्ली : *प्रशिक्षक* : सन् 1997 से जिला एवं राज्यस्तरीय शिक्षक प्रशिक्षक *आकाशवाणी* : आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से सन् 2006 से समय-समय पर साहित्यिक एवं शैक्षणिक कार्यक्रम प्रसारित प्रकाशन : राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रिय इलेक्ट्रानिक तथा प्रिंटिंग पत्र पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशन *सम्पादन* : ग्वाल महिमा (14 वर्ष), मुक्त अधर के गान, *क्र नाम पुस्तक प्रकाशन वर्ष* *1* . बैजनाथ महिमा ( ऐतिहासिक शोध) 2000 *2* .मेक इंग्लिश इजि़यर ( अंग्रेजी शोध नवाचार)2005 *3* .मालवी केवातां ( कहावत संग्रह) 2005 *4* . हमारे प्रेरणा स्रोत (जीवनी संग्रह) 2006 *5* . कबीर भजनामृत (मालवी लोक भजन) 2006 *6* . भाषा सूत्र (संस्कृत व्याकरण सार) 2009 *7* . अंग्रेजी चालीसा (गीतिकाव्य) 2011 *8* . व्याकरण पच्चीसा ( व्याकरण नवाचार) 2011 *9* . बेटी चिरैया (काव्य संग्रह) 2012 *10.* थाने बेटी मारी पेट में (काव्य संग्रह) 2013 *11.* बेटियों ने शंख बजाया(लघुकथा संग्रह) 2014 *12.* बाईस दिस को गणित दिन (गणित नवाचार) 2014 *13.* हिन्दी शतक (हिन्दी शिक्षण) 2014 *14* . हिन्दी त्रिवेणी (हिन्दी शिक्षण) 2015 *15* . बेटी बुधिया मर गई (काव्य संग्रह) 2015 *16* .कहत हैं कवि मसान (काव्य संग्रह) 2016 *17* .हिन्दी दोहावली (हिन्दी शिक्षण) *18.* गणित ज्ञान को गाइये (गायन नवाचार) 2017 *19.* हिन्दी के पांच अध्याय (हिन्दी शिक्षण) 2019 *20* .चालीसा गायन नवाचार (काव्य संग्रह) 2021 *अप्रकाशित* : मालवी एवं ब्रज लोकगीतों में कृष्ण कथा-2004(पी-एच.डी.शोधग्रंथ) *सम्मान* : म.प्र.शासन द्वारा आचार्य सम्मान-2007 तथा राज्यपाल पुरस्कार -2019 देश भर में 100 से अधिक सम्मान *दायित्व* : अध्यक्ष, कबीर कलासाहित्य समिति, आगर (रजि.) *सम्पर्क* : 123, गवलीपुरा, आगर, जिला-आगर मालवा (म.प्र.) M-9424001406