कविता

हनुमान जी

संकट हरते मंगल करते
दुखियों के दुख हरते,
पवनपुत्र हनुमान  जी।
रामभक्त, भक्ति शिरोमणि
तनिक नहीं अभिमान जी
विघ्न विनाशक हनुमान जी।
राम राम रटते हैं जो
जिनके मन में राम बसे हैं
कहलाते वे हनुमान जी।
हर पल जो करते रहते हैं
रामनाम रस पान की
अंजनी सुत हनुमान जी।
रामनाम जपना ही,
सबका तो है सुख धाम जी
सारे तजो गुमान जी।
रामनाम से प्रीत करो
बन जायेंगे सब काम जी
कहते हैं हनुमान जी।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921