कविता

मां

मां मेरी अच्छी थी, 

बनाती कच्ची – पक्की थी, 

मन की बिल्कुल सच्ची थी, 

नाना जी की बच्ची थी! 

मां जब मुझे सुलाती थी, 

कहानी तुरत बनाती थी, 

मां लोरी भी सुनाती थी, 

मेरी दुल्हनियां लाती थी! 

मैं नन्हें पउंवआ दौड़ूं जब,

मां कांटे बीना करती थी, 

चना की रोटी में नून पानी, 

चुपड़ कर मुझे खिलाती थी! 

मेरे लिए सैंडिल – चप्पल, 

बापू से कह मंगवाती थी, 

मां खुद नंगे पांव रहती थी, 

बिना खाए ही सो जाती थी! 

गरीबी में भी उसके हाथ का, 

रूखा – सूखा भी अमृत होता था,

मैं मां के फटे आंचल में छुपकर, 

स्वर्गिक सुख पाता था! 

— सतीश “बब्बा” 

सतीश बब्बा

पूरा नाम - सतीश चन्द्र मिश्र माता - स्व. श्रीमती मुन्नी देवी मिश्रा पिता - स्व0 श्री जागेश्वर प्रसाद मिश्र जन्मतिथि - 08 - 07 - 1962 शिक्षा - बी. ए. ( शास्त्री ) पत्रकारिता में डिप्लोमा, कहानी लेखन एवं पत्रकारिता में डिप्लोमा। संप्रति - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं, संकलन में 1985 से लगातार प्रकाशित, तिब्बती पत्रिकाओं में प्रकाशित और भारत तिब्बत मैत्री संघ का सदस्य, संरक्षक भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महा संघ उ प्र। साहित्य केशरी आदि लगभग 1500 से अधिक साहित्य सम्मानों से सम्मानित प्रकाशित :- कविता संग्रह "साँझ की संझबाती" मोबाइल ऐप्स में प्रकाशित लघुकथा / कहानी संकलन "ठण्ड की तपन" और कहानी संकलन "सुदामा कलयुग का" प्रकाशित, अमाजोन आदि पर उपलब्ध! पता - ग्राम + पोस्टाफिस = कोबरा, जिला - चित्रकूट, उत्तर - प्रदेश, पिनकोड - 210208. मोबाइल - 9451048508, 9369255051. ई मेल - [email protected]