पेंशन
जीवन का आधार है पेंशन,
बुढ़ापे का सहारा है पेंशन,
उम्र भर की कमाई पेंशन,
बुढ़ापे की लाठी है पेंशन।
पेंशन होती है अधिकार,
बिन पेंशन कर्मचारी लाचार,
पेंशनर को भी घर में रहना है,
हाउस रेंट अलाउंस भी है अधिकार।
हर महीने का सहारा पेंशन,
सांध्य काल का गुजारा पेंशन,
जीते जी बने उसका सहारा,
बाद में वारिसों का सहारा पेंशन।
थोड़ी-सी पेंशन बढ़ती है,
बढ़ जाती ज्यादा महंगाई,
पेंशनर की हालत वो ही समझें,
अन्य क्या समझें पीर पराई!
(18 दिसंबर ” पेंशनर दिवस” विशेष)
— लीला तिवानी