श्रीराम जी घर आयेंगे
त्रेता युग में पितृआज्ञा का पालन कर
चौदह वर्ष बाद राम जी अयोध्या आये थे,
पंद्रह सौ अट्ठाइस में जब उनका मंदिर
मीरबांकी ने तोड़ ,उस पर कब्जा कर लिया
राममंदिर की जगह मस्जिद बनवा दिया।
तब से पांच दशक से अधिक का समय बीत गया
और तब से आज तक सरयू में
जाने कितना पानी बह गया,
रामभक्तों के खून से अयोध्या की गलियों सड़कों
और सरयू का पानी भी लाल होकर साफ चुका है।
संघर्षों का जाने कितना दौर
पांच सौ सालों से ज्यादा तक चला है,
जाने कितने उम्मीद लिए दुनिया से विदा हो गए
पर अपने सपनों की डोर अपने वंशजों को सौंप गए,
जाने कितनों ने राममंदिर के लिए बलिदान दे दिया
तो जाने कितनों ने खुद को पूरी तरह
राम जी के चरणों में पूरी तरह समर्पित कर दिया।
पर रामजी मर्यादा का पालन करते रहे
उन्हें अपने ही घर में आने के लिए
भला कौन रोक सकता था?
किसकी औकात और किसमें इतना दमखम था?
पर वो तो कल भी राम थे, आज भी राम हैं
और कल भी राम ही रहेंगे,
मर्यादित आचरण ही हमेशा करते रहे हैं और
आज भी कर रहे हैं, आगे भी करते रहेंगे।
वो जैसे त्रेता में थे, वैसे ही आज कलयुग में भी
मर्यादित आचरण ही तो करते आ रहे हैं हैं,
तभी तो नियम कानून और सर्वसम्मत ढंग से ही
राम जी अपने घर वापस आना चाह रहे थे।
ये अलग बात है कि त्रेता युग में
भरत और पूरी अयोध्या उनका बाट जोह रही थी
जब प्रभु राम पिता का वचन पूर्ण कर अयोध्या आये थे,
और अब कलयुग में
बाइस जनवरी दो हजार चौबीस को कानून का सम्मान
और अपने भक्तों की प्रतीक्षा का पूर्ण अंत करने आयेंगे,
बड़े मान सम्मान से मर्यादा की विजय पताका लहराएंगे
रामजी क्या हैं? तब शायद वे भी जान जाएंगे
जो रामजी को अब तक भी नहीं जान पाये हैं,
क्योंकि तब रामजी अपने घर
अयोध्याधाम पहुंच जाएंगे।
रामनाम के स्वरों की गूंज देश ही नहीं
सारी दुनिया और ब्रह्मांड तक की फिजा में
जब चहुंओर गूंजने लग जायेंगे,
तब वो सब भी जान जाएंगे
जो राम जी और उनकी महिमा से मुंह चुराएं हैं,
जब मर्यादा पुरुषोत्तम रामजी
अयोध्याधाम में अपने सिंहासन पर
फिर से विराजमान हो जायेंगे।