गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य

गीतिका


काव्य को अनुभूति का अध्याय लिखते रह गए।
हर दुखी की पीर का व्यवसाय लिखते रह गए।।

लोग आए निर्धनों की फूंक डाली झोपड़ी,
और हम बैठे विवश बस न्याय लिखते रह गए।

कर्मशाली के लिए हर वेदना संबल बनी,
आलसी बस सोचते निरुपाय लिखते रह गए।

जो सुकोमल प्रेम के संबंध को समझे नहीं ,
भावना का वे सभी अभिप्राय लिखते रह गए।

अर्थ ही बिखराव का है मूल कारण जानकर,
पोटली ले भाव की समवाय लिखते रह गए।

जाति धर्मों में बँटे सब एकता है ही नहीं,
जो कभी थे आदमी समुदाय लिखते रह गए।

सत्य सुंदर की समीक्षा कर न पाए लोग जो,
बस वही शिव को सदा संकाय लिखते रह गए।
डाॅ बिपिन पाण्डेय

डॉ. बिपिन पाण्डेय

जन्म तिथि: 31/08/1967 पिता का नाम: जगन्नाथ प्रसाद पाण्डेय माता का नाम: कृष्णादेवी पाण्डेय शिक्षा: एम ए, एल टी, पी-एच डी ( हिंदी) स्थाई पता : ग्राम - रघुनाथपुर ( ऐनी) पो - ब्रह्मावली ( औरंगाबाद) जनपद- सीतापुर ( उ प्र ) 261403 रचनाएँ (संपादित): दोहा संगम (दोहा संकलन), तुहिन कण (दोहा संकलन), समकालीन कुंडलिया (कुंडलिया संकलन), इक्कीसवीं सदी की कुंडलियाँ (कुंडलिया संकलन) मौलिक- स्वांतः सुखाय (दोहा संग्रह), शब्दों का अनुनाद (कुंडलिया संग्रह), अनुबंधों की नाव (गीतिका संग्रह), अंतस् में रस घोले ( कहमुकरी संग्रह), बेनी प्रवीन:जीवन और काव्य (शोध ग्रंथ) साझा संकलन- कुंडलिनी लोक, करो रक्त का दान, दोहों के सौ रंग,भाग-2, समकालीन मुकरियाँ ,ओ पिता!, हलधर के हालात, उर्वी, विवेकामृत-2023,उंगली कंधा बाजू गोदी, आधुनिक मुकरियाँ, राघव शतक, हिंदी ग़ज़ल के साक्षी, समकालीन कुंडलिया शतक, समकालीन दोहा शतक और अनेकानेक पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का निरंतर प्रकाशन। पुरस्कार: दोहा शिरोमणि सम्मान, मुक्तक शिरोमणि सम्मान, कुंडलिनी रत्न सम्मान, काव्य रंगोली साहित्य भूषण सम्मान, साहित्यदीप वाचस्पति सम्मान, लघुकथा रत्न सम्मान, आचार्य वामन सम्मान चलभाष : 9412956529