कविता

मां बेटे के मिलन की खुशियां

अब जब राम जी अपने घर आ गए हैंआसन पर गर्व से विराजमान हो गये हैंतब धरती खुश और आकाश मगन हैजन जन में हर्षोल्लास का खुमार है चहुँदिश वातावरण भी खुशियों से इतरा रहा है।क्योंकि एक लंबी प्रतीक्षा के बादयह बहु प्रतीक्षित अवसर आया है।ऐसे में भारत माता भी बहुत खुश हो रही हैंआंचल में अपने लाल की अनुभूति करआंखों से बहते अविरल आँसू पोंछ रही हैं,इस अवसर पर कुछ कह नहीं पा रही हैंअपनी भाव भंगिमा से अपनी खुशियाँ व्यक्त कर रही हैं।हम सबके साथ भारत माता ने भीअपनी आँखें भींच भींच कर इंतजार किया,कि उनका लाल एक दिन जरूर आयेगाइसी विश्वास के सहारे इतना संतोष औरआज के दिवस की बड़ी प्रतीक्षा संग धैर्य भी रखा।और आज जब हम सबके साथ उनकी भीप्रतीक्षा पर पूर्ण विराम लग गया,तब भारत माता का मुरझाया मुख मंडल भी,अति उत्साह से दमकने लगा,और हम सबकी भारत माँ की आँखों सेगंगा जमुना का अविरल प्रवाह बहा।माँ के लाल से दूरी का दर्द हम सभी क्या जानें?वो दर्द एक मां ही जाने जिसने अपने लाल जनेमाँ और लाल की दूरी के दर्द की भलाव्याख्या कौन कर सकता है?फिर आज मिलन पर मां बेटे के अंतर्मन काविश्लेषण कर पाना तो और भी कठिन है,अपने आंचल में लाल को छिपाए माँ की खुशी मापनाहमारे आपके लिए ही नहीं ईश्वर के लिए भी कठिन है।राम जी के आगमन पर भारत माता भीहर जन मन से ज्यादा ही खुश है।फिर से दूर न जाने का लाल से वचन मांग रही हैऔर बार बार बलइयां लेकर पुचकार कर दुलार रही हैलाल को नजर न लगे इसलिए काला टीका लगा रही है।चहुँओर गूँजते जय श्री राम के स्वर को सुन अतिशय प्रसन्न होकर राम का नाम बार बार ले रही हैअपनी खुशियों का इस तरह इजहार कर रही है। सुधीर श्रीवास्तव गोण्डा उत्तर प्रदेश१९.०१.२०२४

माँ बेटे के मिलन की खुशियां


अब जब राम जी अपने घर आ गए हैं
आसन पर गर्व से विराजमान हो गये हैं
तब धरती खुश और आकाश मगन है
जन जन में हर्षोल्लास का खुमार है
चहुँदिश वातावरण भी खुशियों से इतरा रहा है।
क्योंकि एक लंबी प्रतीक्षा के बाद
यह बहु प्रतीक्षित अवसर आया है।
ऐसे में भारत माता भी बहुत खुश हो रही हैं
आंचल में अपने लाल की अनुभूति कर
आंखों से बहते अविरल आँसू पोंछ रही हैं,
इस अवसर पर कुछ कह नहीं पा रही हैं
अपनी भाव भंगिमा से अपनी खुशियाँ व्यक्त कर रही हैं।
हम सबके साथ भारत माता ने भी
अपनी आँखें भींच भींच कर इंतजार किया,
कि उनका लाल एक दिन जरूर आयेगा
इसी विश्वास के सहारे इतना संतोष और
आज के दिवस की बड़ी प्रतीक्षा संग धैर्य भी रखा।
और आज जब हम सबके साथ उनकी भी
प्रतीक्षा पर पूर्ण विराम लग गया,
तब भारत माता का मुरझाया मुख मंडल भी,
अति उत्साह से दमकने लगा,
और हम सबकी भारत माँ की आँखों से
गंगा जमुना का अविरल प्रवाह बहा।
माँ के लाल से दूरी का दर्द हम सभी क्या जानें?
वो दर्द एक मां ही जाने जिसने अपने लाल जने
माँ और लाल की दूरी के दर्द की भला
व्याख्या कौन कर सकता है?
फिर आज मिलन पर मां बेटे के अंतर्मन का
विश्लेषण कर पाना तो और भी कठिन है,
अपने आंचल में लाल को छिपाए माँ की खुशी मापना
हमारे आपके लिए ही नहीं ईश्वर के लिए भी कठिन है।
राम जी के आगमन पर भारत माता भी
हर जन मन से ज्यादा ही खुश है।
फिर से दूर न जाने का लाल से वचन मांग रही है
और बार बार बलइयां लेकर पुचकार कर दुलार रही है
लाल को नजर न लगे इसलिए काला टीका लगा रही है।
चहुँओर गूँजते जय श्री राम के स्वर को सुन
अतिशय प्रसन्न होकर राम का नाम बार बार ले रही है
अपनी खुशियों का इस तरह इजहार कर रही है।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921