बाल कविता

जोड़ो-जोड़ो

दो में दो जोड़ो हो जाए चार,
जीवन में सबसे हो प्यार.
चार में चार जोड़ो हो जाए आठ,
असफलता भी पढ़ाती जीवन-पाठ.
आठ में दो जोड़ो हो जाए दस,
समय पर चले न किसी का बस.
दस में दस जोड़ो हो जाए बीस,
डॉक्टर बन बेबस से मत लेना फीस.
बीस में तीस जोड़ो हो जाए पचास
कविता पूरी, होना न उदास.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244