सामाजिक

एक रील आपको आपके बिछड़े वजूद से मिला सकती

किसी ने बहुत ही सुंदर रील बनाई और रील के माध्यम से सभी को संदेश दे कुछ समझाया , रील बहुत भा गई और रूह पर जाकर लगे जैसे हर एक शब्द उस रील के । तभी एक सवाल जो मन में उभर आया वो ये था कि क्या सच में कोई रील मुताबिक उस नक्शे कदम पर चल पाएगा ? शायद नहीं । अगर मेरी बात की जाए तो मैं तो बिल्कुल नहीं चल पाऊॅंगी । सच कहना सरल है परंतु करना कठिन है खास करके उन लोगों के लिए कठिन है जो किसी से बेपनाह मोहब्बत में अपना सब कुछ वार देते सिर्फ एक ही शख्स पर यहॉं तक की अपना वजूद भी । 

चलिए अब बताती हूॅं कि उस रील में एसा क्या था जो मुझे लिखने के लिए मजबूर कर बैठा मेरे भावों को, मेरे वो भाव जिन्हें में महसूस कर लिख रही और शायद या ये सोच रही कि अगर मेरे साथ ऐसा होगा तो मैं किस पीड़ा से गुजरूंगी वो मैं ही जानती हूॅं । उस रील के अंतर्गत ये था कि एक शख्स जो की किसी की मोहब्बत में इस कदर डूबा था और वो उसके पीछे-पीछे भाग रहा था उठते-बैठते खाते पीते उसे उस शख्स के सिवा कोई सूझता ही नहीं था परंतु वो शख्स था की दूसरों

के पीछे भाग रहा था अर्थात बाहर वाली या बाजारु औरत भी यहॉं आप सोच सकते हैं । जब रील बनाने वाला शख्स बुरी तरह ठोकर खाके दर्द-ए विरह की आग में जल रहा था तो उसने रील बना के दूसरों का मार्गदर्शन कर समझाना चाहा और कहा कि , कभी भी उस शख्स के पीछे नहीं भागो , जो दूसरों के पीछे भाग रहा उसका रील बनाने का सिर्फ यही उद्देश्य था कि किसी भी प्यार करने वाले इंसान की हालत उसकी तरह नहीं हो । 

बहुत ही सुंदर उद्देश्य था रील बनाने वाले का पर क्या कोई सीख ले पाएगा ? शायद नहीं । सच कह रही हूॅं शायद नहीं । एक लड़की डोली में बैठ कर अपने मॉं-बाप के घर से पिया के घर इस विश्वास से आती है की उसके सास-ससुर के साथ-साथ उसके पिया का प्यार , उसे कभी मॉं-बाप के प्यार की कमी महसूस नहीं होने देगा । अगर किसी औरत की शादी किसी गलत आदमी से कर दी जाए , मतलब लड़की के मां-बाप को भी नहीं पता पड़ता की लड़का बिगड़ैल अय्याश है तो ऐसे में तो वो लड़की तो पति के जीते-जी भी जैसे विधवा ही हो जाती मतलब जब वही पिया प्यार नहीं सिर्फ उसके जिस्म का इस्तेमाल कुछ समय तक पवित्र भाव से करता और घर में सभी के ख्याल रखने तक कि उम्मीद अपनी पत्नी से रखता परंतु कुछ वर्ष या एक दो वर्ष बाद ही खुद बाहर वालियों के पीछे भागता उनसे बेइज्जत होने के बाद भी उन्हीं के तलवे चाटता , अपनी पत्नी को मानसिक या शारीरिक प्रताड़ना देना । पत्नी तो अपना सर्वोपरि अपने पिया पर लुटा बैठी , पति के प्यार के लिए सब किया , गालियां भी सुनी तो मार भी खाई अपना वजूद ही भूल गयी पति के उपर अंधा भरोसा कर बहुत सम्मान देती । फिर भी पति दूसरी औरतों या अपनी गर्लफ्रेंड के उस पालतू कुत्ते की तरह रहना पसंद करता जिसके गले में पट्टा बांध गर्लफ्रेंड उसे अपनी दूर से ही सही या पास से भी जिस्मानी बोटी दिखा अपने इशारों पर नचाती । पति फिर भी एसी गर्लफ्रेंड के प्यार में जीभ निकाल के ललचाता फिरता और बाहर ही मूॅंह मारता । अब ऐसे में पत्नी विरोध करे तो पत्नी गलत नहीं होती परंतु जिसे पालतू कुत्ता बन बाहर की गंदगी खाना पसंद हो मतलब कि अगर उस इंसान को बाहरवाली बाज़ारू औरतों में रूची हो अपनी पत्नी में नहीं तो समय रहते ऐसी पत्नियां जो इस तरह के माहौल में गुज़र बसर कर रही उनके लिए ये रील वरदान जैसी है । मुश्किल है पर नामुमकिन कुछ भी नहीं । समय लगेगा , लगने दो पर आजाद छोड़ दो पति नामक उस इंसा को जो पति के नाम पर कलंक है जिसे पत्नी के त्याग और प्यार के समर्पण भाव नहीं दिखते । जिसे बाहर की जूठन खाने की आदत हो जाती है । खैर ऐसे लोग किसी के सगे नहीं वो एक नहीं अनेक गर्लफ्रेंड के कुत्ते बन उनकी बोटियों के पीछे ललचाती जीभ लपलपाते हुए भाग रहे होते हैं ओर तो और ये जानते भी हैं की इनकी  गर्लफ्रेंड इनसे भी अपने सौ काम करवा कर इन पालतू कुत्तों से सिर्फ अपना मतलब सीध कर रही होगी और वो भी इनकी तरह दस जगह मुॅंह मार रही होंगी । तो समझे अब रील बनाने वाले का उद्देश्य नेक है वो भी लगता है उस दर्द-ए आग को महसूस कर चुका होगा तभी वो स्वयं की जिंदगी से सीख आज दूसरों को सिखा रहा है चाहे रील के माध्यम से ही सही , सच सोशल मीडिया हर बार गलत नहीं होता सोशल मीडिया से ज्ञान लेना अगर कोई चाहे तो ले भी सकता , और जो अज्ञानता भरी राह पर भटकना चाहे तो भटक भी सकता । वो उन सभी औरतों का हितैषी है जिनके पति बाहर मुंह मारते । तो अब संभल जाओ मत भागो उसके पीछे , जो औरों के पीछे भाग रहा । 

— वीना आडवाणी तन्वी

वीना आडवाणी तन्वी

गृहिणी साझा पुस्तक..Parents our life Memory लाकडाऊन के सकारात्मक प्रभाव दर्द-ए शायरा अवार्ड महफिल के सितारे त्रिवेणी काव्य शायरा अवार्ड प्रादेशिक समाचार पत्र 2020 का व्दितीय अवार्ड सर्वश्रेष्ठ रचनाकार अवार्ड भारतीय अखिल साहित्यिक हिन्दी संस्था मे हो रही प्रतियोगिता मे लगातार सात बार प्रथम स्थान प्राप्त।। आदि कई उपलबधियों से सम्मानित