तेरे पास
दिल करता है तेरे आस-पास रहूं।
चाहे तुलसी बन तेरे आंगन रहूं ।।
तेरे हाथों से बूंद भर पानी पाकर।
प्रीत की प्यास को बुझा पाऊँ। ।
बागबां अपने बाग का तुम रहो।
मैं उस में खिलती गुलाब बनूँ। ।
छा जाऊँ तुम्हारे घर-आँगन पर।
अमरलता बन कर सदा छाई रहूं। ।
गम जुदाई के अब सही नहीं जाती।
रात-दिन काटे न कटे,क्या करूँ। ।
विरह-वेदना तुम समझ न पाओ।।
बात ये तुम्हें कैसै मैं समझाऊं। ।
— डॉ. मंजु लता