कितनीरामायण
राम जग के आराध्य, अयोध्या जिनका मुक़ाम है,
मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाते, मानवता पहचान है।
ज्ञान के भंडार वह, संस्कार संस्कृति के पुरोधा,
एक अकेले जगत में, युगों से आराध्य श्री राम हैं।
कहा जाता है कि श्री राम और महर्षि वाल्मीकि का काल एक ही था। माता सीता ने महर्षि के आश्रम में ही लव व कुश को जन्म दिया था। यह भी कहा जाता है कि डाकू रत्नाकर को नारद जी ने मरा मरा का जाप मंत्र दिया था। यानि वाल्मीकि से पहले भी कोई राम थे। आर्य धर्म के रक्षक, मानवता के त्राता, प्रजा प्राण, लोकनायक श्री राम भारत भूमि के कण कण में रमे हुए हैं। आदि कवि महर्षि वाल्मीकि से अनेक शताब्दियों पूर्व भी रामकथा का प्रचलन था। वाल्मीकि रामायण का काल ७००० वर्ष ईसा पूर्व माना जाता है। ऋग्वेद (४/ ३०/ १८) में सरयू नदी तट पर प्रथम आर्य बस्ती बसने का उल्लेख मिलता है। अयोध्या नाम की इस नगरी की स्थापना स्वयं मनु ने की थी। और उसकी पूर्ति इक्ष्वाकु ने की थी। मनु को विवस्वान अर्थात् सूर्य का पुत्र शास्त्रों में बताया गया है। मनु के पुत्र इक्ष्वाकु ने अयोध्या में सूर्यवंशी राजाओं की परम्परा शुरू की थी। श्री राम का जन्म इसी क्षत्रिय इक्ष्वाकु वंश की ३९वी पीढ़ी में हुआ था। सूर्यवंशी राजाओं मनु, इक्ष्वाकु, पुरंजय, मान्धाता, त्रसदस्यू(ऋग्वेद के प्रक्षस्ति) वृक, नाभाग, अश्वरीष, दिलीप, रघु, अज और दशरथ अत्यंत प्रसिद्ध हुये। इन्हीं दशरथ के पुत्र राम थे। वाल्मीकि रामायण में पाँच काण्ड और १२००० श्लोक थे। जिसका वर्णन महाभारत में उल्लिखित है। वाल्मीकि रामायण से पूर्व प्राप्त कुछ रामायण के संक्षिप्त विवरण—-
१- आदि रामायण— आदि रामायण भगवान शंकर द्वारा रचित है। यह अब उपलब्ध नहीं है। पंडित धनराज शास्त्री जी के शोध से इसके बारे में जानकारी उपलब्ध होती है। यह स्वायम्भुव मन्वन्तर से पहले सतयुग में भगवान शंकर ने पार्वती जी को सुनाई थी। इसमें ३ लाख ५० हज़ार श्लोक हैं और यह ७ काण्डों में विभक्त है।
२- संवृत रामायण—नारद जी द्वारा रचित इस रामायण में २४००० श्लोक का वर्णन मिलता है। इसका रचना काल रैवत मन्वन्तर का पाँचवा सतयुग है।
३- अगस्तय रामायण— १६००० श्लोक वाली इस रामायण के रचयिता महर्षि अगस्त्य ने स्वारोचिय मन्वन्तर के दूसरे सतयुग में इसकी रचना की।
४- लोमस रामायण— लोमस ऋषि ने स्वायम्भुव मन्वन्तर के एक हज़ार बासठवें त्रेता में इसे रचा था। इसमें ३२००० श्लोक का विवरण मिलता है।
५- मंजुल रामायण— १ लाख २० हज़ार श्लोक वाली इस रामायण का उल्लेख सुतीक्ष्ण ऋषि ने स्वारोचिय मन्वन्तर के १४ वें त्रेता में किया था।
६- सौपद्य रामायण— इसमें ६२ हज़ार श्लोक हैं। इनको अत्रि ऋषि ने रैवत मन्वन्तर के १६वें त्रेता में बनाया गया था।
७- रामायण महामाला— इसमें ५६ हजार श्लोक हैं। इसका समय तामस मन्वन्तर का दशम त्रेता है।
८- सौहार्द रामायण— इसको शरभड्गं ऋषि ने वैवस्वत मन्वन्तर के नवम् त्रेता में बनाया था। इसमें ४० हज़ार श्लोक हैं।
९- रामायण मणिरत्नम—इसमें ३६ हज़ार श्लोक हैं। इसकी रचना समय तामस मन्वन्तर का १४वां त्रेता है। यह वशिष्ठ अरुंधती संवाद है।
१०- सौर्म्य रामायण— इसमें ६२ हज़ार श्लोक हैं। यह हनुमान सूर्य का संवाद है। इसका काल वैवस्वत मन्वन्तर का २० वाँ त्रेता है य।
११- चान्द्र रामायण— इलमें ७५ हज़ार श्लोक हैं। यह हनुमान चन्द्रमा संवाद है। इसका समय रैवत मन्वन्तर का ३२ वाँ त्रेता युग है।
१२- मैन्द रामायण— यह कौरव संवाद है। इसका समय रैवत मन्वन्तर का २१वां त्रेता युग है। इसमें ५२ हज़ार श्लोक हैं।
१३- स्वायम्भुव रामायण— यह ब्रह्मा नारद संवाद है। इसमें १८ हज़ार श्लोक हैं। इसका समय स्वायम्भुव मन्वन्तर का ३२वां त्रेता है।
१४- सुब्रह्म रामायण— ३२ हज़ार श्लोक वाली इस रामायणका समय वैवस्वत मन्वन्तर का १३ वाँ त्रेता युग है।
१५- सुवर्चस रामायण— सुग्रीव तारा संवाद की इस रामायण में १५ हज़ार श्लोक हैं। इसका समय वैवस्वत मन्वन्तर का १८वां त्रेता है।
१६- देव रामायण— इन्द्र जयन्त संवाद वाली इस रामायण में १ लाख श्लोक हैं। इसका समय तामस मन्वन्तर का छठा त्रेता है।
१७- श्रवण रामायण— इन्द्र जनक वाली इस रामायण में १ लाख २५ हज़ार श्लोक हैं। इसका काल स्वायम्भुव मन्वन्तर का ४० वाँ सतयुग है।
१८- दुरन्त रामायण— ६१ हज़ार श्लोक वाली इस रामायण में वशिष्ठ जनक संवाद है। इसका समय वैवस्वत मन्वन्तर का २५वां त्रेता है।
१९- रामायण चम्पू— १५ हज़ार श्लोक हैं और शिव नारद संवाद है। इसका समय श्राद्ध देव मन्वन्तर का प्रथम त्रेता है।
इन सभी रामायण में वही पात्र और घटनाक्रम है जो वाल्मीकि रामायण में है। शास्त्रोनुसार हमारी समय की अवधारणा—- १ कल्प = १४ मन्वन्तर
१ मन्वन्तर = ७१ महायुग
१ महायुग = ४ युग
१ युग = ४३२०००० मानव वर्ष
— डॉ अ कीर्तिवर्द्धन