कविता

देश पहले

पता नहीं तुम्हारे अलौकिक राज्य में

हमारे हृदय का हिस्सा

पूर्वोत्तर है कि नहीं,

पर हमारे दिल में हमारी

हर मां,बहन,बेटी होती है,

हर गलत व्यवहार में

खुलकर आंसू बहा रोती है,

अरे कब तक नारी को

परीक्षा देने के लिए

तैयार बैठे रहोगे यार,

यहां तुम्हारे सोचे हिसाब से

नहीं होने वाला है कोई चमत्कार,

या प्रूफ देने के लिए हो तैयार,

यदि नहीं दे सकते भरोसा

तो तुम भारतीय नहीं हो,

अपनी सोच हिसाब से

कहीं दूर जाति के दम पर खड़े हो,

महिला सम्मान के लिए महिला जरूरी है,

उनके बिना सम्मान अधूरी है,

हालांकि मुझे पूरा यकीन है कि

सारा दोष मुझ पर आयेगा,

पर मुझे अंधभक्त कोई नहीं कह पायेगा,

मैं लोकतांत्रिक सोच वाला था,

हूं और हमेशा रहूंगा।

— राजेन्द्र लाहिरी

राजेन्द्र लाहिरी

पामगढ़, जिला जांजगीर चाम्पा, छ. ग.495554