कविता

माँ शारदे

हे शारदे मैया मेरी
फरियाद इतनी सुन लो,
वरदान देकर मेरी
अज्ञानता को हर लो।

मेरी भी विनती सुन लो
मुझ पर भी कृपा कर दो,
ज्ञान का एक दीपक
मुझमें भी जला दो।

वीणा बजाकर माते
स्वर शब्द मुझमें भर दो,
मैं भी कुछ लिख पढ़ सकूं
बस! इतनी सौगात इतना दे दो।

हूँ आपके शरण में
मन मेरा निर्मल कर दो,
निंदा नफ़रत दूर कर
सद्बुद्धि मुझमें भर दो।

बस इतनी सी है कामना
अब तो पूरी कर दो,
झुकाकर शीष बैठा हूँ,
अब हाथ अपना रख दो।

जानूँ मैं तो माता
इस योग्य तो नहीं हूँ,
वरदान दें या न दें
बस थोड़ा सा प्यार दें
नमन तो स्वीकार करें।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921