सावन
समाप्ति ग्रीष्म की
बरसात की बूंदों ने जताई…
वनस्पतियाँ पड़ी पीली
खुशी से मुस्कुरायीं…
सूखी हुई जल-धाराओं ने
धीरे-धीरे साँसें लीं …
फूलों ने मुस्कुराते हुए
ओस का स्वागत किया…
सावन का आगमन
मेढ़कों के और अबाबीलों के
मोरों-कोयलों और उड़नेवाली धीमाकों के
गाने-बजाने और नृत्य के साथ हुआ…
धीरे-धीरे
छा गया है और समा गया है…
पूरी प्रकृति वश में कर ली है…
और हमें भी
वाह सावन,
तू ना
एक अद्भुत ऋतू है…
— दिलिणि तक्षिला सेव्वन्दि