कविता

पुष्प-घाटी: प्रकृति का एक उपहार 

पुष्प-घाटी में बसा है स्वर्ग 

जहाँ पुष्पों का है अनोखा संगम 

जहाँ हरी-भरी है प्रकृति की हर झलक 

जहाँ बहती है नदियों में नीला जल 

पुष्प-घाटी में छुपा है एक राज़ 

जिसे जानने को है मन में उत्साह

जिसे देखने को है आँखों में तरस 

जिसे छूने को है हाथों में चाहत 

पुष्प-घाटी जगाती है नया जीवन 

जो देते हुए हमें खुशी और शांति 

जो बताते हुए हमें सृष्टि का रहस्य 

जो सिखाते हुए हमें प्रेम और साहस 

— नदीक दिलशान सिल्वा, श्री लंका