कविता

केंद्रबिंदु

ऊंचे आसमान पर आज नारी

सफलतापूर्वक उड़ रही हैं,

लोकतंत्र के हर मजबूत

स्तंभ से जुड़ रही है,

बेटियां विज्ञान और वैज्ञानिकता की

बातें कर रही हैं,

दामन थाम चुकी है,

तो बताइए किसके कारण?

मजबूत प्रशासनिक व्यवस्था दे रही हैं,

कानून की रखवाली कर रही हैं,

उनकी सख्ती से व्यवस्थाएं सुधर रही है,

बेटियों को ही नहीं सबको

न्याय दिलवा पा रही हैं

तो बताइए किसके कारण?

वतन के सर्वोच्च पद को सुशोभित कर रही हैं,

पाखंडों से हट शिक्षा से सुधर रही हैं,

निःस्वार्थ बेटे बेटियों को पढ़ा रही हैं,

पूरी पीढ़ी को आगे ले जा रही हैं,

संगीत के सुर महका रही हैं,

मधुर गीत गा रही हैं,

तो बताइए किसके कारण?

आज बेटियां बल्ले घुमा रही हैं,

डॉक्टर बन जिंदगियां बचा रही हैं,

अंतरिक्ष से शोधकर आ रही हैं,

शिक्षा की अलख जगा रही हैं,

तमाम कार्यों को करने के बाद भी

रोटियों पर बेलन चला

पूरे परिवार की क्षुधा मिटा रही हैं,

तो बताइए किसके कारण?

माता सावित्री बाई फुले है सबका केंद्रबिंदु,

सतलज,गंगा,यमुना,गोदावरी या हो सिंधु,

इस अकाट्य सत्य को भुला नहीं सकते,

किसी कल्पना को श्रेय दिला नहीं सकते,

यदि शिक्षा की इस देवी को भुला रही हो,

तो यकीनन अपने पैरों पर कुल्हाड़ी चला रही हो।

— राजेन्द्र लाहिरी 

राजेन्द्र लाहिरी

पामगढ़, जिला जांजगीर चाम्पा, छ. ग.495554