नवसंवत्सर
नवसंवत्सर मंगलमय हो ।
जग भर में भारत की जय हो।
पूरे हों संकल्प सुपावन
जनगणमन उन्नत – निर्भय हो।
पंचतत्व को रखें सुरक्षित
ऊर्जा हरित विपुल संचय हो।
फूलें-फलें विटप, पशु – पक्षी
भू पर हरियाली अक्षय हो।
बढ़े ज्ञान – विज्ञान निरंतर
निज संस्कृति की मोहक लय हो।
रहे न कोई भूखा – नंगा
जन – जन से स्नेहिल परिचय हो।
संघर्षों से क्या घबराना
कितना ही प्रतिकूल समय हो।
पुष्पों – सी मुस्कान विखेरें
जीवनकाल भले कतिपय हो।
— गौरीशंकर वैश्य विनम्र