रात हो चुका है…
एक विद्वान ने
सुबह-सुबह
चाय पिया और कहा…,
‘रात हो चुका है…!’
लोगों ने सोचा…,
उन्होंने कहा है तो
सत्य ही हो सकता है
सुबह-सुबह
कोई क्यों झूठ बोलेगा…?
दूसरा विद्वान ने
इसी शाम को
पानी पिया और कहा…,
‘रात हो चुका है…!’
लोगों ने कहा…,
शाम को विद्वान नशे में है…!
इन्होंने सुबह के
विद्वान के बातों को ही
दोहराया है…!
कोई नयापन नहीं
कोई नई बात नहीं
इनके बातों में…!
— मनोज शाह मानस