कोई छूटा तो नहीं
देख के झंझावात को ,दिल टूटा तो नहीं है।
पकड़ के रखना हाथ,कोई छूटा तो नहीं है।
चलना संभल संभल के, जमाना बड़ा बुरा,
दौलत के पीछे इमान, तेरा लूटा तो नहीं हैं।
दिया वचन किसी को,है निभाना तू प्यार से,
किया जो वायदा अपना , पलटा तो नहीं है।
सहिष्णुता ,सदाचार, दिल मे बसाए रखना,
गुस्सा कहीं निर्दोष पर तेरा ,फूटा तो नहीं है।
अनमोल होते रिश्ते सदा प्यार से ही सींचना,
तेरी वजह से अपना कोई रूठा तो नहीं है।
किया जो प्यार दिल से ,फिर दिल न तोड़ना,
करके निभाना वायदा कहीं झूठा तो नहीं है।
इंसानियत सदा ही ज़िंदगी में बनाए रखना,
देखना आचरण तेरा कहीं उलटा तो नहीं है।
— शिव सन्याल