गीतिका/ग़ज़ल

कोई छूटा तो नहीं

देख के झंझावात को ,दिल टूटा तो नहीं है।

पकड़ के रखना हाथ,कोई छूटा तो नहीं है।

चलना  संभल संभल के, जमाना बड़ा बुरा,

दौलत के पीछे इमान, तेरा लूटा तो नहीं हैं।

दिया वचन किसी को,है निभाना तू प्यार से,

किया जो वायदा अपना , पलटा तो नहीं है।

सहिष्णुता ,सदाचार, दिल मे  बसाए रखना,

गुस्सा कहीं निर्दोष पर तेरा ,फूटा तो नहीं है।

अनमोल होते रिश्ते सदा प्यार से ही सींचना,

तेरी वजह से  अपना कोई  रूठा तो नहीं है।

किया जो प्यार दिल से‌ ,फिर दिल न तोड़ना,

करके निभाना वायदा कहीं झूठा तो नहीं है।

इंसानियत सदा ही ज़िंदगी में  बनाए रखना,

देखना आचरण  तेरा कहीं  उलटा तो नहीं है।

— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995