कविता

तन्हा है जीवन

तन्हा है मन तन्हा है जीवन
तन्हा है अपना घर       द्वार
तन्हाई से लवरेज है    यौवन
तन्हा है  मेरा सुना       संसार

आवाज देकर किसे मैं बुलाऊँ
कौन सुनेगा हमरी ये    पुकार
हर जीवन है जग में     बेगाना
झुठे वादे झूठा है सब     प्यार

कितने यहाँ आये कितने   भुलाये
हर मोड़ पे मिला मोहब्बत के यार
पैसे की चमक में बिकता है अब
इश्क का सजा है जग में  बाजार

रात तन्हाई दिन में   बजे शहनाई
तन्हा बना ये जीवन का      सार
अपने पराये ओढ़ के सब    साये
किस किसको सुनाऊँ मैं मनुहार

काश ! ये मोहब्बत जग ना आता
ना आता ये इश्क का         ज्वार
प्यार मोहब्बत में पागल ना होता
सच्चा होता जीवन का       तार

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088