होली में
शुष्क पड़े कई रिश्ते सारे
उन्हें खिला दें होली में|
रूठे कई यार दोस्त हैं
उन्हें मना ले होली में |
इस बेरंग से जीवन में
कुछ रंग चढ़ा ले होली में
रहने दो अब गिले शिकवे
गले मिल जाएँ होली में|
अधूरी थीं चाहत मन की
उसे पूरी करना होली में।
देख जिन्हें प्रीत जगा था
मीत बना लें होली में|
तन ही रंगे तो क्या रंगना
मन भी रंग दे होली में।
रह जाए ना कुछ मलाल
बस उड़ा गुलाल होली में|
— सविता सिंह मीरा