गीतिका/ग़ज़ल

होली में 

शुष्क पड़े कई  रिश्ते सारे 

उन्हें  खिला  दें  होली में| 

रूठे  कई  यार दोस्त हैं 

उन्हें  मना  ले  होली में |

इस  बेरंग से  जीवन  में 

कुछ रंग चढ़ा ले  होली में 

रहने दो अब गिले शिकवे 

 गले मिल जाएँ  होली में|

अधूरी थीं चाहत मन की

उसे पूरी करना होली में।

देख जिन्हें प्रीत जगा था 

मीत बना लें  होली में|

तन ही रंगे तो क्या रंगना 

मन भी रंग दे होली में।

रह जाए ना कुछ मलाल

बस उड़ा गुलाल होली में|

— सविता सिंह मीरा

सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - meerajsr2309@gmail.com