ब्रह्म
मैं
ब्रह्म
अजर अमर अविनाशी
घट घट में व्यापक
कहीं नहीं जायूँगा
सदा रहूंगा यहीं कहीं
आता जाता रहूँगा
इक घट से दूजे घट में
मैं
ब्रह्म
अजर अमर अविनाशी
घट घट में व्यापक
कहीं नहीं जायूँगा
सदा रहूंगा यहीं कहीं
आता जाता रहूँगा
इक घट से दूजे घट में