जय स्कंदमाता
रुप सौन्दर्य लिए अद्वितीय आभा
स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता ।
चार भुजा कमलासन पर विराजे
पुत्र नाम से कहलाई स्कंद माता ।।
विशुद्ध मन को शुद्ध करती माता
करती हर मुराद पूरी स्कंद माता ।
संतान प्राप्ति की मनोकामना भी
करती पूरी जो भक्त द्वार पे आता ।।
असुरों का नाश करें रक्तदंतिका माता
पुत्र, भक्त की है यह भाग्य विधाता ।
माता को केले का भोग लगे प्रिय
मोहक लगे पंचम रुप में स्कंद माता ।।
ममता का महासागर है स्कंद माता
पालन, पोषण, संस्कार है स्कंद माता ।
कहें स्कंद माता, संतानो से मत भेजो
वृध्दाश्रम , रक्षाकवच होती है माता ।।
— गोपाल कौशल भोजवाल