भजन/भावगीत

जय स्कंदमाता 

रुप सौन्दर्य लिए अद्वितीय आभा 

स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता । 

चार भुजा कमलासन पर विराजे 

पुत्र नाम से कहलाई स्कंद माता ।।

विशुद्ध मन को शुद्ध करती माता 

करती हर मुराद पूरी स्कंद माता । 

संतान प्राप्ति की मनोकामना भी 

करती पूरी जो भक्त द्वार पे आता ।।

असुरों का नाश करें रक्तदंतिका माता

 पुत्र, भक्त की है यह भाग्य विधाता ।

 माता  को केले  का भोग लगे प्रिय 

मोहक लगे पंचम रुप में स्कंद माता ।।

ममता का महासागर है स्कंद माता 

पालन, पोषण, संस्कार है स्कंद माता । 

कहें स्कंद माता, संतानो से मत भेजो 

वृध्दाश्रम , रक्षाकवच होती  है  माता ।।

— गोपाल कौशल भोजवाल 

गोपाल कौशल "भोजवाल"

नागदा जिला धार मध्यप्रदेश 99814-67300