भजन/भावगीत

माँ की लाल चुनरी

घर द्वार भी सजाए, बंदनवार भी लगाए,
किया घट को स्थापित अखंड दीप भी जलाएं,
रूप माता की देखो कैसे निखरी
शोभे है मोहक माँ की लाल चुनरी|

मां की हो र ही है आरती, भक्तों को कष्टों से तारती,
पाठ करेंगे मैया तेरी रोज, सबकी जिंदगी तू ही संवारती
पहनाऊंगी मां तुझे भर भर चूड़ी
शोभे है मोहक माँ की लाल चुनरी|

मेरे जौ खिल गए, हरसिंगार खिल गए,
तेरी ज्योत से माता, घर द्वार खिल गए
रखूंगी जगराता सब आना सखी री
मैया देख लाई हूं तेरी लाल चुनरी|
पहनाऊँगी तुझे तो सोने की मुंदरी
शोभे है मोहक माँ की लाल चुनरी|

— सविता सिंह मीरा

सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - meerajsr2309@gmail.com