मुझे छोड़ कर के
कहां खो गए तुम मुझे छोड़ कर के
कहां छुप के बैठे हो मुंह मोड़ कर के।
चलो आओ सम्मुख करो मुझसे बातें
तो बातों से निकलेंगी कितनी ही बातें।
वो सदियों के रिश्ते कभी जोड़ कर के।
कहां खो गए तुम मुझे छोड़ कर के।
अकेले हैं कितने तुम्हीं जानते हो
विकल वेदना मेरी पहचानते हो
जो वादे किए थे उन्हें तोड़ कर के।
कहां खो गए हो मुझे छोड़ कर के।
उदासी का आलम हमेशा न होगा
कहीं धूप होगी तो साया भी होगा
भरोसा न तोड़ो ये मुंह मोड़ कर के।
कहां खो गए तुम मुझे छोड़ कर के।
— ओम निश्चल