कविता

शंखनाद

नहीं होगी पुनरावृत्ति,
कहीं अब बम विस्फोटों की l
ना होगा संसद पर हमला,
ना अब धर्मस्थल टूटेंगे l
यह शंखनाद है मेरा,
तुमुल नाद है मेरा ll

हम हैं रक्षक देश के ,
हम हैं प्रहरी देश के l

चेतावनी-ना कोई वस्तु बम होगी,
आतंकी, तुम में ना इतनी दम होगी l
ललकार सको जो मुझे,
मेरी ताकत ना कम होगी l
भूमि ना हड़पने देंगे ,
आतंक न पनपने देंगे l
यह शंखनाद है मेरा,
तुमुल नाद है मेरा ll

हम हैं रक्षक देश
हम हैं प्रहरी देश के ll

— बृजबाला दौलतानी

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