उम्मीद-दीप जला ले
आँधियों से क्या घबराना हौसला है बुलंद,
आती हैं खुशियां भी, भले आते ग़म चंद,
संघर्ष कर आँधियों से मुकाबला कर,
होने न देना कभी हौसलों को कतई मंद।
आकांक्षाओं-अपेक्षाओं को ज्यादा तूल न दे,
साहस से संभावनाओं को ही वरीयता दे,
आकांक्षाओं का सीना चीरकर भी होगा,
संभावनाओं का उद्गम, उम्मीद-दीप जला ले।
आँधियां-तूफान आते हैं, गुजर जाते हैं,
तनकर खड़े बड़े पेड़ जड़ से उखड़ जाते हैं,
कोमल दूर्वा नमकर उनको राह दे बच जाती,
समय देख नमने वाले ऐसे ही पार पाते हैं।
रास्ते की रुकावटें साहस को मोड़ पातीं नहीं,
साहसी बना लेते राह जहां से मिल जाए वहीं,
रुकावटें खुद ही वांछित मंजिल बन जातीं हैं,
लाख कोशिश करें दृढ़ संकल्प तोड़ पातीं नहीं।
— लीला तिवानी