मुक्तक/दोहा

निग्रह से हो जीत

इंद्रिय वश में रख सदा, होगी जग में जीत।
मुख-मंडल का तेज बढ़े, संयम से हो प्रीत।।

आकांक्षाओं के भार से, प्रभु-प्रीत दब जाये।
अपेक्षाओं को छोड़ दे, मन-मंदिर बन जाये।।

पंचभूत निर्मित काया में, नाना भांति विकार।
अहं-मद-मोह-लोभ-क्रोध, हैं विकार विकराल।।

अनासक्ति के व्रत से हो, इंद्रिय-निग्रह मीत।
मन की आंधी जब चले, निग्रह से हो जीत।।

पंच प्रकार ज्ञानेन्द्रिय के, पंच कर्मेन्द्रियां होयं।
अनुशासित जीवन से ही, मन-अशांति को खोयं।।

मनोनिग्रही हो रे मना, कर ले प्रभु का ध्यान।
तत्वदर्शी कहलाएगा, जब हो संयम-ज्ञान।।

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

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