बस्ती
रंगों की भव्य घटा है छाई।
बस्ती का त्योहार है भाई।
ढोलक, ढोल, मंजीरे, पायल।
फाग फ़बीला दिल से घायल।
फूलों ने खुश्बू बिखराई।
बस्ती का त्योहार है भाई।
सरसों की फसलें लहराती।
कृषक की खुशियां बढ़ जाती।
कुदरत ने खैरात लुटाई।
बस्ती का त्योहार है भाई।
रंग बिरंगी हैं दस्तारें।
घोड़ सवारी और तलवारें।
आनंदपुर में गूंजी शहनाई।
बस्ती का त्योहार है भाई।
राधा कृष्ण का यह उपहार।
हर्षोल्लास तन्मय प्यार।
वैकुंठ बनी है अरूणाई।
बस्ती का त्योहार है भाई।
‘बालम’गुलशन में हैं सबरंग।
विभिन्न धर्मों के धर्मों संग।
भारत ने यह प्रीत चलाई।
बस्ती का त्योहार है भाई।
— बलविन्दर ‘बालम’