विचारों की दुनिया में
आज का यथार्थ
कल के लिए कल्पना है
कल की कल्पना
यथार्थ का रूप हो सकता है
जो आंखों के सामने
चलता है वे सभी सत्य नहीं होता
जीव – जगत को समझना
आसान नहीं है सबका
बहुत कम लोग होते हैं
साधना के क्षेत्र में
जो नित्य डटे रहते हैं
त्याग – समर्पण का महक
फैलाते – रहते हैं,
मन को अधीन करने की
मजबूत शक्ति है जिसके पास
वे अपना मार्ग निकालते हैं
शाश्वत सत्य नहीं है कोई
इस दुनिया में
नियम सबके लिए
सरल नहीं होता, गरल भी बनता
नियम के बिना
जगत का व्यवहार
चलता नहीं सुचारू रूप से
सुख – दु:खों का
यह उतार – चढ़ाव
सब के लिए समान नहीं होता
काल, परिस्थितियां
हमें चलाती हैं, हिलाती हैं
रूलाती हैं, सबक सिखाती हैं
अनुभवों की भिन्नता
विचारों का अंतर
चलता रहेगा.. चलता रहेगा
युग – युगों की कहानी है
रूढ़ – मूढ़ विचार
स्वार्थ का रूप है
परिवर्तनों को स्वीकार करना
कष्ट लगता है सुखी – संपन्न को
परिवर्तन के बिना
अधूरा है जीवन दु:खी संसार का
प्रलय के राग में
बह जाएंगी सारी विकृतियां
अहं के बिल ध्वस्त होंगे
एकता का रूप धारण कर
इंसानों का नव समाज
एक दिन सत्य का सांस लेगा।