मुक्तक/दोहा

माता सुंदर रूप

नव रूपों में मात है, देती दर्शन आप।
श्रृद्धा से सिमरन करो हर लेती संताप।।
काली दुर्गा आप हैं, लिए हाथ तलवार।
भक्तों की रक्षा करे, करे दुष्ट संहार।।
लिए मुरादें आ रहे, मां तेरे दरबार।
झोली भरती आप हैं, करती सब से प्यार।।
दिल की बातें जानती, माता पालन हार।
हम बच्चे माॅं आप के, करो सदा उपकार।।
माता सुंदर रूप में, आई शेर सवार।
हाथ जोड़ सब हैं खड़े, करने को दीदार।।
ऊंचे भवन हैं मात के, सजे छैल दरबार।
आते नंगे पांव हैं, भक्त करें जयकार।।
धूप फूल अरु फल लिए, श्रृद्धा से ले हाथ।
चरणों में अर्पित करें, प्रेम भाव‌ के साथ।।
दिल में भर दो प्यार मां, बढ़े नहीं तकरार।
अमन चैन से सब रहें, सुखी रहे संसार।।
दानव मानव है हुआ, बहक गया है आज।
नारी शोषण कर रहा, रही कहाॅं है लाज।।
दुष्टों‌ का मर्दन करो, हो निर्भय सब नार।
पाप मिटे संसार से, करो भक्त उद्धार।।

— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995