माता सुंदर रूप
नव रूपों में मात है, देती दर्शन आप।
श्रृद्धा से सिमरन करो हर लेती संताप।।
काली दुर्गा आप हैं, लिए हाथ तलवार।
भक्तों की रक्षा करे, करे दुष्ट संहार।।
लिए मुरादें आ रहे, मां तेरे दरबार।
झोली भरती आप हैं, करती सब से प्यार।।
दिल की बातें जानती, माता पालन हार।
हम बच्चे माॅं आप के, करो सदा उपकार।।
माता सुंदर रूप में, आई शेर सवार।
हाथ जोड़ सब हैं खड़े, करने को दीदार।।
ऊंचे भवन हैं मात के, सजे छैल दरबार।
आते नंगे पांव हैं, भक्त करें जयकार।।
धूप फूल अरु फल लिए, श्रृद्धा से ले हाथ।
चरणों में अर्पित करें, प्रेम भाव के साथ।।
दिल में भर दो प्यार मां, बढ़े नहीं तकरार।
अमन चैन से सब रहें, सुखी रहे संसार।।
दानव मानव है हुआ, बहक गया है आज।
नारी शोषण कर रहा, रही कहाॅं है लाज।।
दुष्टों का मर्दन करो, हो निर्भय सब नार।
पाप मिटे संसार से, करो भक्त उद्धार।।
— शिव सन्याल