गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

देख हर कोई यहाँ नादान है।
ज़िंदगी से रख सके पहचान है।

बात छोटी पर परेशानी बढ़े।
वे न लेते तब मगर संज्ञान है।।

आँधियाँ ही जो चलें घबराये नहीं।
वीर लेता देख सीना तान है।।

सोच ले संघर्ष करना ही सही।
मान लेते हैं वही वरदान है।।

पार करना मुश्किलें बन साहसी।
देख पाना मंज़िलें आसान है।।

छोड़ ग़म को पा सभी खुशियाँ सदा।
कर सकोगे पूर्ण जो अरमान है।।

देख वीरों को डटे हद पर खड़े।
आज बर्फ़ीला भले तूफ़ान है।।

सब तिरंगे को झुकाते शीश हैं।
जो हमारे देश की ही शान है।।

जान से प्यारा हमें भारत लगे।
सब कहें यह जान भी क़ुर्बान है।।

— रवि रश्मि ‘अनुभूति’

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