चन्द नातिया अश्आर
नूर से उन के जग में उजाला हुआ।
ख़ूबसूरत जहां का नज़ारा हुआ।
वो ही होता रहा जो भी कहते रहे,
रब का उनपे करम बे तहाशा हुआ।
फर्क़ आया नहीं एक रत्ती तलक,
जो कहा बाद मे वो हमेशा हुआ।
— हमीद कानपुरी
नूर से उन के जग में उजाला हुआ।
ख़ूबसूरत जहां का नज़ारा हुआ।
वो ही होता रहा जो भी कहते रहे,
रब का उनपे करम बे तहाशा हुआ।
फर्क़ आया नहीं एक रत्ती तलक,
जो कहा बाद मे वो हमेशा हुआ।
— हमीद कानपुरी