कहानी

बड़ी बहिन

मैं रागिनी के यहाँ कुछ दिनों के लिए गई थी..! हम लोग सोफे पर बैठ कर आपस मेें बात कर रहे थे तबतक उसकी कामवाली की बहन मुनिया चाय लेकर आई…मुझे प्रणाम कर फिर वह अपना काम निपटाने जा रही थी..!

मैंने उसे आशिर्वाद देते हुए उससे पूछा तुम्हारी बहन कहाँ है वह क्यों नहीं आई है…… उसने मुस्कुराते हुए कुहा कि दीदी को देखने के लिए लड़का आया है दीदी को पसंद भी कर लिया है.. वो उसी के साथ उसका घर देखने के लिए गई है..!..मैं अभी कुछ पूछती ही कि रागिनी ने मुनिया को काम समझाकर काम करने को कहा और . ..कहने लगी हाय रे किस्मत ….!पता नहीं भगवान् ने किस मनहूस घड़ी मेें लिखा है इसका भाग्य कि बेचारी बुचिया ( कामवाली ) को लड़के के बारे मेें  खुद ही पता लगाना  पड़ रहा है..!

तब तक वो कामवाली भी आ गई उसकी उम्र लगभग सत्रह अट्ठारह वर्ष होगी ..! रागिनी उसके तरफ मुखातिब होकर लड़के के बारे मे पूछ रही थी.. कि कहाँ का रहने वाला है.. कैसा उसका घर है आदि आदि…….. और फिर बीच बीच में हिदायत भी दे रही थी कि लड़के को मुझसे मिलवाना जरूर …….

मेरे मन में उठते हुए कौतूहल को शायद रागिनी समझ गई थी.. तभी मेरी तरफ मुखातिब होकर बोलने लगी…. डर लग रहा है कि कहीं शादी के बाद लड़का इसे  बेच ना दे… फिर बड़े ही दुखी होकर कह रही थी कि कौन है इसका खोजखबर लेने वाला…!

फिर सुनाना शुरू कर दिया उनकी हृदय को द्रवित कर देने वाली कहानी.. कहने लगी…… जब बुचिया चौदह वर्ष की उम्र की थी तभी उसके पिता का देहांत हो गया… हांथ पैर पीट पीट कर रो रही थी बुचिया.. कोई सहारा नहीं दिखाई दे रहा था उसे कभी कभी तो बेहोश भी हो जा रही थी… किसी भी तरह उसकी मां ने अपने को सम्हालते हुए तीनों बच्चों को सम्हाला तब मुनिया नौ वर्ष की और उसका भाई तीन वर्ष का था..!

पर इतने से ही ईश्वर को संतोष नहीं हुआ..पिता के दसवीं के दिन ही हार्ट अटैक से इनकी माँ  का भी देहांत हो गया..! उनके पास ना रहने का ठिकाना था न खाने को कोई रोटी देने वाला था ..! कुछ पड़ोसी उन्हें अनाथालय में डालने का सुझाव दे रहे थे.. किन्तु बुचिया ने कहा कि हम जहाँ पर भी रहेंगे तीनों भाई बहन साथ में ही रहेंगे…! फिर बुचिया की मौसी उन्हें अपने घर ले गई… पर गाँव में बर्तन बासन करके किसी भी तरह अपनी रूखी सूखी रोटी जुटाने वाली मौसी कहाँ से खिला पाती शहर में रहने वाले तीन तीन बहन के बच्चों को भर पेट भोजन……!

अपने भाई बहन का आधा पेट खाना बुचिया से बर्दाश्त नहीं हुआ इसलिए वह फिर बलिया शहर में वापस आ गई..!अब दोनों बहन तीन चार घर काम करके अपना गुजारा कर लेती हैं..! और भाई को इंग्लिश मीडियम स्कूल में दाखिला करा दिया है..!

फिर थोड़ी भावुक होते हुए कहने लगी मुझे सिर्फ इस बात का डर लगा रहता है कि कहीं लड़का शादी के बाद इसे बेच ना दे….! एक लड़का और देखने आया था उसने सामुहिक विवाह तथा कोर्टकि मैरेज करने से तो मना कर ही दिया मुझसे मिलने से भी मना कर दिया था .. इस लिए मुझे उस लड़के पर शक हो गया और मैने उस लड़के से बुचिया का विवाह नहीं होने दिया…!

फिर कहने लगी अब राम जाने इसके भाग्य में क्या लिखा है … हम तो कोर्ट मैरिज और सामुहिक विवाह के लिए इसलिए कहते हैं कि उसमें लड़के का सब अता पता सही सही सही लिखा रहता है ..!.. तभी बुचिया फिर चाय के साथ साथ पकौड़े भी लेकर आई.. और कुछ शरमाते हुए कहने लगी आँटी जी ये लड़का बहुत ही अच्छा है मेरे भाई बहन को भी साथ रखने को तैयार है…! और मैं सोचने लगी बुचिया के विषय में… बेचारी को अपनी शादी में भी अपने से अधिक अपने भाई बहनों की ही फिक्र  है..!

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*किरण सिंह

किरण सिंह जन्मस्थान - ग्राम - मझौंवा , जिला- बलिया ( उत्तर प्रदेश) जन्मतिथि 28- 12 - 1967 शिक्षा - स्नातक - गुलाब देवी महिला महाविद्यालय, बलिया (उत्तर प्रदेश) संगीत प्रभाकर ( सितार ) प्रकाशित पुस्तकें - 20 बाल साहित्य - श्रीराम कथामृतम् (खण्ड काव्य) , गोलू-मोलू (काव्य संग्रह) , अक्कड़ बक्कड़ बाॅम्बे बो (बाल गीत संग्रह) , " श्री कृष्ण कथामृतम्" ( बाल खण्ड काव्य ) "सुनो कहानी नई - पुरानी" ( बाल कहानी संग्रह ) पिंकी का सपना ( बाल कविता संग्रह ) काव्य कृतियां - मुखरित संवेदनाएँ (काव्य संग्रह) , प्रीत की पाती (छन्द संग्रह) , अन्तः के स्वर (दोहा संग्रह) , अन्तर्ध्वनि (कुण्डलिया संग्रह) , जीवन की लय (गीत - नवगीत संग्रह) , हाँ इश्क है (ग़ज़ल संग्रह) , शगुन के स्वर (विवाह गीत संग्रह) , बिहार छन्द काव्य रागिनी ( दोहा और चौपाई छंद में बिहार की गौरवगाथा ) ।"लय की लहरों पर" ( मुक्तक संग्रह) कहानी संग्रह - प्रेम और इज्जत, रहस्य , पूर्वा लघुकथा संग्रह - बातों-बातों में सम्पादन - "दूसरी पारी" (आत्मकथ्यात्मक संस्मरण संग्रह) , शीघ्र प्रकाश्य - "फेयरवेल" ( उपन्यास), श्री गणेश कथामृतम् ( बाल खण्ड काव्य ) "साहित्य की एक किरण" - ( मुकेश कुमार सिन्हा जी द्वारा किरण सिंह की कृतियों का समीक्षात्मक अवलोकन ) साझा संकलन - 25 से अधिक सम्मान - सुभद्रा कुमारी चौहान महिला बाल साहित्य सम्मान ( उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान लखनऊ 2019 ), सूर पुरस्कार (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान 2020) , नागरी बाल साहित्य सम्मान बलिया (20 20) राम वृक्ष बेनीपुरी सम्मान ( बाल साहित्य शोध संस्थान बरनौली दरभंगा 2020) ज्ञान सिंह आर्य साहित्य सम्मान ( बाल कल्याण एवम् बाल साहित्य शोध केंद्र भोपाल द्वारा 2024 ) माधव प्रसाद नागला स्मृति बाल साहित्य सम्मान ( बाल पत्रिका बाल वाटिका द्वारा 2024 ) बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन से साहित्य सेवी सम्मान ( 2019) तथा साहित्य चूड़ामणि सम्मान (2021) , वुमेन अचीवमेंट अवार्ड ( साहित्य क्षेत्र में दैनिक जागरण पटना द्वारा 2022) जय विजय रचनाकर सम्मान ( 2024 ) आचार्य फजलूर रहमान हाशमी स्मृति-सम्मान ( 2024 ) सक्रियता - देश के प्रतिनिधि पत्र - पत्रिकाओं में लगातार रचनाओं का प्रकाशन तथा आकाशवाणी एवम् दूरदर्शन से रचनाओं , साहित्यिक वार्ता तथा साक्षात्कार का प्रसारण। विभिन्न प्रतिष्ठित मंचों पर अतिथि के तौर पर उद्बोधन तथा नवोदित रचनाकारों को दिशा-निर्देश [email protected]

5 thoughts on “बड़ी बहिन

  • ओम प्रकाश क्षत्रिय

    लघुकथा के भाव बहुत अच्छे है . बधाई . मगर विवरण ने लघुकथा को लघुकथा नहीं रहने दिया . अच्छा होता विवरण थोडा कम होता. वैसे कथा जोरदार है .

    • किरण सिंह

      जी हार्दिक आभार…. सच में लघु कथा नहीं कहानी ही होना चाहिए गलती से लघु कथा पर लग गया

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी लघु कथा ! इसका शीर्षक मैंने बदल दिया है.

    • किरण सिंह

      जी हार्दिक आभार….. सही शीर्षक

      • किरण सिंह

        जी गलती से लघु कथा पर लग गया… कहानी ही होना चाहिए

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