माँ-
तुम्हारी गोद में सर रखकर अपने गम हल्के करता था |
तुम थी तो हर दिन खुशियों का था |
तुम मेरे आँसू भी मोती से कर देती |
मेरी खुशियों को और बड़ाती ,
तुम थीं तो सब कुछ अच्छा था |
तुम नहीं तो देखो खुशियां भी कोई नहीं बांटता |
खुशी हो तो बस थोड़ा सा मुस्कुरा देता हूँ |
गम हो तो यूंही होठों को सी लेता हूँ |
पर तुम थी तो हर दिन खुशियों का था |||
— कामनी गुप्ता जम्मू
अच्छी कविता है.
धन्यवाद सर जी
बहुत खूब !
Thanks sirji