कविता

मन …….

ए मन तू उदास मत हो |

सुख -दुःख तो आनी हैं ,

कष्ट आएंगे उसे सहना होगा |

फिर से तुम्हें सम्भलना होगा ,

ए मन तू उदास मत हो |

सूरज फिर से उदय होगा ,

कल नया सवेरा लाएगा |

अपनी रौशनी से जग को जगमगाएगा ,

ए मन तू उदास मत हो |

तुम फिर से उस प्यार को पाओगे ,

जो प्यार को तुमने खोया है |

खोया हुआ दिन फिर से वापस आएंगे ,

ऐ चमन तू उदास मत हो |

तुम्हारे इस निराशा पर ,

आशाओं के फूल खिलेंगे |

फिर से तुम्हारी जिंदगी में ,

नयी -नयी खुशिया बहार आएंगे |

ए मन तू उदास मत हो |

………निवेदिता चतुर्वेदी

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४

2 thoughts on “मन …….

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    मन की बात अच्छी लगी , निराशा में डूबने से कुछ नहीं होगा ,आशावादी रहने से ही जिंदगी आगे चलेगी .

    • निवेदिता चतुर्वेदी

      jee dhanybad

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