मुक्तक
गर कुछ माँगा है आपसे हमने हुज़ूर
तो ये नही कि आप दे सकते हैं हुज़ूर
चाहते हैं आपसे ही है हर शय मुमकिन,
हम आपसे कुछ आपसे ही ले सकते है हुज़ूर
प्यार तुमसे हुआ है, क्या वाकिफ़ नहीं हो तुम
दिल बेकरार हुआ है, क्या वाकिफ़ नहीं हो तुम
नींद नही आंखों में, रातों को भी चैन नहीं है
हमको यार हुआ है, क्या वाकिफ़ नहीं हो तुम
आज बैठी हूँ तुम्हारें पहलू में मैं पल दो पल
भूलकर सब मुहब्बत अब कर लूँ मैं पल दो पल
लम्हे फुरसत के मिले हैं चंद ही सुनो साहिब
जी भरके तुम्हें ही बस देखूं मैं पल दो पल
मनुष्य हो अगर जान लो तुम कर्म भी अपना
जीना यूं ही नहीं तुमको है काम भी मरना
सीप के मोती बनो तुम या बहती जल धारा
गुजरकर व्यवधानों से पात्र को है पात्र ही भरना
— चन्द्र कांता सिवाल ‘चन्द्रेश’
गर कुछ माँगा है आपसे हमने “हुज़ूर”
तो ये नही की आप दे सकते है “हुज़ूर ”
चाहते है आपसे ही है हर शय मुमकिन ,
हम आपसे कुछ आपसे ही ले सकते है “हुज़ूर ”
प्यार तुमसे हुआ है ,क्या वाकिफ़ नही हो तुम
दिल बेकरार हुआ है ,क्या वाकिफ़ नही हो तुम
नींद नही आंखों में ,रातों को भी चैन नही है
क्या हमको ये यार हुआ है ,वाकिफ़ नही हो==== तुमआदरणीया सुंदर भाव समांत पदांत पर थोडा प्रयास शेष है जय माँ शारदे=