अटल जी पर एक ताजी रचना
जो सदी के प्रखर हैं वक्ता
राजनीति के उज्ज्वल मुक्ता
मौन तपस्वी बने आज जो
उम्र मिटा ना सकी सजगता
आओ उनको नमन करें |
आओ उन्हें स्मरण करें ||
अटल रहे जो डिगे कभी ना,
आदर्शों को सदा निभाया
जब भी बोले कविता निकली,
माँ की पीड़ा को छलकाया
तम धरा का हरण करें |
आओ उन्हें स्मरण करें ||
नहीं बसाया घर अपना
देखा माँ सेवा का सपना
कर्म को हथियार बनाकर,
अपनाया जीवन में तपना
शिक्षा उनकी वरण करें |
आओ उन्हें स्मरण करें ||
— विश्वम्भर पाण्डेय ‘व्यग्र’