दामन में मेरे आग लगाता है कौन…
दामन में मेरे आग लगाता है कौन।
अर्थीयां रिश्तों की उठाता है कौन॥
उजडे सिदूंर पूछ रहे हैं बताओ तो।
बेवा सुहागिनों को बनाता है कौन॥
पथराई बूंढी आंखे करती है सवाल।
जलते हुऐ चिराग बुझाता है कौन॥
दीवार पर लगे लहु के छीटें कह रहे।
इनांसानियत का खून बहाता है कौन॥
ऐ धर्म बता तू अगर सच में है धर्म तो।
अधर्म आदमी को सिखाता है कौन॥
खिलते गुलों के बाग में माली बता।
नफ़रत के शूल बीज के जाता है कौन॥
भारती कराह रही है रात दिन दर्द से।
मां को ये गहरे घाव लगाता है कौन॥
सतीश बंसल