गीतिका/ग़ज़ल

दामन में मेरे आग लगाता है कौन…

दामन में मेरे आग लगाता है कौन।
अर्थीयां रिश्तों की उठाता है कौन॥

उजडे सिदूंर पूछ रहे हैं बताओ तो।
बेवा सुहागिनों को बनाता है कौन॥

पथराई बूंढी आंखे करती है सवाल।
जलते हुऐ चिराग बुझाता है कौन॥

दीवार पर लगे लहु के छीटें कह रहे।
इनांसानियत का खून बहाता है कौन॥

ऐ धर्म बता तू अगर सच में है धर्म तो।
अधर्म आदमी को सिखाता है कौन॥

खिलते गुलों के बाग में माली बता।
नफ़रत के शूल बीज के जाता है कौन॥

भारती कराह रही है रात दिन दर्द से।
मां को ये गहरे घाव लगाता है कौन॥

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.