तेरी राह में
हम तेरी राह में फूल बनकर खिले ।
हम जो तुमसे मिले बन गए सिलसिले ।
तेरी इक हसी हम तो यु मर मिटे ।
जैसे आवारा भवरे हैं गुल से मिले ।
खुश्बे महकी हवाओ से आने लगी ।
तुमसे मिलकर के तन्हाई गाने लगी ।
दिल के गुलशन के तुम बादशाह बन गए ।
तुम ही सजदा हो तुम ही खुदा बन गए ।
लाख शिकवे हुए और शिकायत हुई ।
रूठने और मनाने की आदत हुई ।
कुछ ना तुम कह सके कुछ ना हम कह सके ।
नैना दोनो के जैसे जुबा बन गए ।
मैं जो शम्मा हुई तुम परवाने हुए ।
सारी रैना जले और कहानी हुए ।
— अनुपमा दीक्षित मयंक
बहुत खूब !