हँसना मना है
शादी के बाद की थी उसकी पहली होली
देवर के दोस्तों ने चाही करनी ठिठोली
तैयारी पूरी कर लगाये थे सब घात
सासू जी ने मंशा पे किया तुषारापात
बहु को ढंक-तोप कर अंगने में बैठाया
सबकी उतंग छटपटाहट पहपटहाया
फीके के फीके रह गये चंग भंग रंग
इक इंच भी नहीं दिखा भउजी का अंग
माल पुआ दही बड़े छोले पकौड़े खिलाया
शिव जी पर जल बारी बारी से डलवाया
— विभा रानी श्रीवास्तव
फिर तो होली हो ली !
हा हा ,फीके के फीके रह गये चंग भंग रंग
इक इंच भी नहीं दिखा भउजी का अंग, bad luck !