गीत/नवगीत

होली तो बहाना है…

होली तो बहाना है, रंगों के बहाने से हमें यार मनाना है।
आ आके गले लग जा, इस होली में सारा मनभेद मिटाना है॥

बिन तेरे यार मेरे, हर रंग है फीका सा आ रंग रंग कर दे।
नीरस से जीवन को, आ बाहों में आके फ़ागुन का रंग भर दे॥
जो बीता सो बीता, वो वक्त भुलाना है,अब यार को पाना है…..
आ आके गले लग जा, इस होली में सारा मनभेद मिटाना है……

बिन तेरे ये दुनिया, वीरान सी लगती है सुनसान सी लगती है।
आ दे दे चैन जरा तेरे बिन सांसों में एक आग सुलगती है॥
बांहों के घेरों में, चाहत का ठिकाना है हमदम को पाना है…
आ आके गले लग जा, इस होली में सारा मनभेद मिटाना है…..

तु रूठ गया जब से, ऐसा लगता है ये दुनियां ही रूठ गयी।
तेरा साथ जो छूटा तो, यूं लगा मेरी सारी खुशिया ही रूठ गयी॥
खुशियों का फिर वो ही, संसार बसाना है,उस प्यार को पाना है……
आ आके गले लग जा, इस होली में सारा मनभेद मिटाना है……..

चलो भूल के सब बातें, आ जाओ लगा लो गले अब और न तरसाओ।
इन रंगो के संग संग, प्यार के मधुरस का अमृत भी बरसाओ॥
इस प्रेम के सबरस में, आनंद समाना है बस डूब ही जाना है……
आ आके गले लग जा, इस होली में सारा मनभेद मिटाना है…..

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.

2 thoughts on “होली तो बहाना है…

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत खूब !

    • सतीश बंसल

      शुक्रिया विजय जी..

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