गीत/नवगीत

धडकनों में है नये स्वर…

धडकनों में है नये स्वर, होठों पर नवगीत है।
कुछ नयी सी है फ़िजाए, हर तरफ़ बस प्रीत है॥

बहका बहका सा है ये मन, महका महका सा बदन।
गुलसिता बनकर खिला है, जाने क्यूं दिल का चमन॥
ग़ुनगुनाती हैं हवाएं , हर तरफ संगीत है….
कुछ नयी सी है फ़िजाए, हर तरफ़ बस प्रीत है…

मिल गया जब से मेरे दिल को, मोहब्बत का पता
खुद ही खुद में है मगन ये, जानें क्या इसको हुआ।
बोलते हैं तार दिल के, प्रीत है बस प्रीत है…
कुछ नयी सी है फ़िजाए, हर तरफ़ बस प्रीत है….

गीत गाता है खुद ही, और खुद से ही बातें करता है।
हंसता है खुद ही और खुद ही, ठंडी सी आहें भरता है॥
कहता है सब हार कर ही, पायी मैनें जीत है..
कुछ नयी सी है फ़िजाए, हर तरफ़ बस प्रीत है….

क्या गजब अहसास है ये, है अनोखा ही सरूर।
उतना ही नजदीक है वो, जितना खुद को समझे दूर॥
क्यों न हो आभास उसका, वो मेरा मनमीत है……
कुछ नयी सी है फ़िजाए, हर तरफ़ बस प्रीत है….

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.