गीत/नवगीत

प्रीत रीत जीवन नैया है..

प्रीत रीत जीवन नैया है, धर्म कर्म पतवार है।
नियम अनुशाशन मर्यादा, जीवन के आधार है॥

धीर विवेक ज्ञान ज्योति से, मन का दीपक दीप्यमान हो।
सत्य सार जीवन की थाती, निष्ठा मन में विद्ध्मान हो
कर्तव्यों का निर्वाहन ही, जीवन का अधिकार है….
नियम अनुशाशन मर्यादा, जीवन के आधार है…..

रहे चेतना हर पल हर क्षण, मानवता सम्मान की।
मन में रहे भावना निर्मल, चाहत नवल निधान की॥
सर्वसमनव्य समता ममता ही, जीवन के सार है….
नियम अनुशाशन मर्यादा, जीवन के आधार है…..

सबके भावों की अनुभूति, सबके हित की बातें हो।
लालच ईर्ष्या द्वेष से ऊपर, मानवता के नातें हो॥
सरल स्वभावी और निश्छलता, करती भव से पार है….
नियम अनुशाशन मर्यादा, जीवन के आधार है…..

है सौभाग्य परम हम सबका, हमको मानव रूप मिला।
सबसे श्रेष्ठ बाद ईश्वर के, हमको ये प्रारूप मिला॥
सोचो समझो और पहचानों, क्या जीवन का सार है…..
नियम अनुशाशन मर्यादा, जीवन के आधार है…..

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.